हनुमान चालीसा के शब्दों का अर्थ और उनका व्याख्यान अत्यंत महत्वपूर्ण है। इस भक्तिपूर्ण पाठ में भगवान हनुमान की भक्ति करने वाले व्यक्ति को उनके गुणों का अनुभव होता है और उनके ध्यान से मन शुद्ध होता है। प्रत्येक छंद में भगवान हनुमान की महिमा, उनके कार्य, और उनके प्रभाव का वर्णन किया गया है।
भक्ति अंश
हनुमान चालीसा के पाठ के द्वारा भक्त भगवान हनुमान की पूजा करते हैं और उनके आशीर्वाद से अपने जीवन में समृद्धि और सुख की प्राप्ति करते हैं। यह पाठ उन्हें मानसिक शांति, आध्यात्मिक उन्नति और धार्मिकता में स्थिरता प्रदान करता है।
हनुमान चालीसा के पाठ के लाभ
हनुमान चालीसा का पाठ करने से व्यक्ति को उसके मानसिक, शारीरिक और आध्यात्मिक लाभ प्राप्त होते हैं। इस पाठ को नियमित रूप से पाठ करने से उसके जीवन में सफलता, खुशी और समृद्धि की प्राप्ति होती है। यह चालीसा भक्तों को विकल्प और अपार शक्ति प्रदान करती है जो उन्हें जीवन के हर कठिनाई से सामना करने में सहायक होती है।
Hanuman Chalisa Lyrics With Meaning in Hindi
दोहा
श्रीगुरु चरन सरोज रज, निज मनु मुकुरु सुधारि। बरनऊं रघुबर बिमल जसु, जो दायकु फल चारि।
बुद्धिहीन तनु जानिके, सुमिरौं पवन-कुमार। बल बुद्धि विद्या देहु मोहिं, हरहु कलेश विकार।
अर्थ: श्री गुरु के चरण कमलों की धूल से अपने मन रूपी दर्पण को साफ करके मैं श्री रघुनाथ जी के निर्मल यश का वर्णन करता हूँ, जो चारों फलों (धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष) को देने वाला है। हे पवन कुमार! मैं आपको सुमिरन करता हूँ। मुझे बल, बुद्धि और विद्या दीजिए और मेरे दुःखों और दोषों को दूर कीजिए।
चौपाई
जय हनुमान ज्ञान गुन सागर।
जय कपीस तिहुं लोक उजागर॥
अर्थ: हनुमान जी, आप ज्ञान और गुणों के सागर हैं। आपकी जय हो, हे कपीश (वानरराज), आप तीनों लोकों में प्रसिद्ध हैं।
रामदूत अतुलित बल धामा।
अंजनि-पुत्र पवनसुत नामा॥
अर्थ: आप राम के दूत हैं और अतुलित बल के धाम हैं। आप अंजनी के पुत्र और पवन देवता के नाम से जाने जाते हैं।
महाबीर विक्रम बजरंगी।
कुमति निवार सुमति के संगी॥
अर्थ: आप महान वीर, विक्रमी और बजरंगबली हैं। आप बुरी बुद्धि को नष्ट करते हैं और अच्छी बुद्धि के साथी हैं।
कंचन बरन बिराज सुबेसा।
कानन कुंडल कुंचित केसा॥
अर्थ: आपका रंग सोने के समान है और आप सुंदर वस्त्र धारण करते हैं। आपके कानों में कुंडल और घुंघराले बाल हैं।
हाथ बज्र और ध्वजा विराजे। काँधे मूँज जनेऊ साजे॥
अर्थ: आपके हाथ में वज्र और ध्वजा (ध्वज) सुशोभित हैं। आपके कंधे पर मूँज का जनेऊ (यज्ञोपवीत) है।
शंकर सुवन केसरी नंदन।
तेज प्रताप महा जग वंदन॥
अर्थ: आप शंकर जी के अंश और केसरी के पुत्र हैं। आपकी महिमा और प्रताप से संसार आपका वंदन करता है।
विद्यावान गुनी अति चातुर।
राम काज करिबे को आतुर॥
अर्थ: आप विद्या, गुण और अति चतुरता से परिपूर्ण हैं। आप श्री राम के कार्य करने के लिए सदा उत्सुक रहते हैं।
प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया।
राम लखन सीता मन बसिया॥
अर्थ: आप प्रभु श्री राम के चरित्र सुनने के रसिया हैं। राम, लक्ष्मण और सीता आपके मन में बसे हैं।
सूक्ष्म रूप धरि सियहिं दिखावा।
विकट रूप धरि लंक जरावा॥
अर्थ: आपने सूक्ष्म रूप धारण करके सीता को दिखाया और विकट रूप धारण करके लंका को जलाया।
भीम रूप धरि असुर संहारे।
रामचंद्र के काज संवारे॥
अर्थ: आपने भयानक रूप धारण करके असुरों का संहार किया और श्री रामचंद्र जी के कार्यों को सफल बनाया।
लाय सजीवन लखन जियाये।
श्री रघुबीर हरषि उर लाये॥
अर्थ: आपने संजीवनी बूटी लाकर लक्ष्मण को जीवन दान दिया, जिससे श्री रघुवीर (राम) ने हर्षित होकर आपको हृदय से लगा लिया।
रघुपति कीन्ही बहुत बड़ाई।
तुम मम प्रिय भरतहि सम भाई॥
अर्थ: श्री रघुनाथ जी ने आपकी बहुत बड़ाई की और कहा कि आप मेरे प्रिय भरत के समान भाई हैं।
सहस बदन तुम्हरो जस गावैं।
अस कहि श्रीपति कंठ लगावैं॥
अर्थ: हजार मुख से आपके यश का गान करते हैं, ऐसा कहकर श्रीपति (राम) ने आपको गले से लगा लिया।
सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा।
नारद सारद सहित अहीसा॥
अर्थ: सनकादिक, ब्रह्मा आदि मुनि, नारद, सरस्वती और शेषनाग आपका गुणगान करते हैं।
जम कुबेर दिगपाल जहां ते।
कवि कोविद कहि सके कहां ते॥
अर्थ: यमराज, कुबेर और दिशाओं के रक्षक जहां-तहां हैं, वे कवि और पंडित भी आपके यश का वर्णन कहां तक कर सकते हैं?
तुम उपकार सुग्रीवहि कीन्हा।
राम मिलाय राजपद दीन्हा॥
अर्थ: आपने सुग्रीव पर उपकार किया और उन्हें श्री राम से मिलाकर राजपद प्रदान कराया।
तुम्हरो मंत्र विभीषन माना।
लंकेश्वर भए सब जग जाना॥
अर्थ: आपका मंत्र विभीषण ने माना और वे लंका के राजा बने, यह सब जगत जानता है।
जुग सहस्र जोजन पर भानू।
लील्यो ताहि मधुर फल जानू॥
अर्थ: हजार योजन की दूरी पर स्थित सूर्य को आपने मधुर फल समझकर निगल लिया।
प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माहीं।
जलधि लांघि गए अचरज नाहीं॥
अर्थ: आपने प्रभु श्री राम की अंगूठी को मुख में रखकर समुद्र को लांघ लिया, इसमें कोई आश्चर्य नहीं है।
दुर्गम काज जगत के जेते।
सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते॥
अर्थ: संसार के जितने भी कठिन कार्य हैं, वे आपके अनुग्रह से सुगम हो जाते हैं।
राम दुआरे तुम रखवारे।
होत न आज्ञा बिनु पैसारे॥
अर्थ: आप श्री राम के द्वार के रक्षक हैं, आपकी आज्ञा के बिना कोई प्रवेश नहीं कर सकता।
सब सुख लहै तुम्हारी सरना।
तुम रक्षक काहू को डरना॥
अर्थ: आपकी शरण में आने से सब सुख प्राप्त करते हैं। जब आप रक्षक हैं, तो किसी को भी डरने की आवश्यकता नहीं है।
आपन तेज सम्हारो आपै।
तीनों लोक हाँक तें काँपै॥
अर्थ: अपने तेज को आप स्वयं ही सम्हाल सकते हैं। आपके हाँकने (दहाड़ने) से तीनों लोक कांप जाते हैं।
भूत पिशाच निकट नहिं आवै।
महाबीर जब नाम सुनावै॥
अर्थ: जब महाबीर (हनुमान) का नाम लिया जाता है, तब भूत-प्रेत पास नहीं आते।
नासै रोग हरै सब पीरा।
जपत निरंतर हनुमत बीरा॥
अर्थ: वीर हनुमान का निरंतर जप करने से रोग नष्ट होते हैं और सभी पीड़ा दूर हो जाती है।
संकट तें हनुमान छुड़ावै।
मन क्रम बचन ध्यान जो लावै॥
अर्थ: जो भी मन, कर्म, वचन और ध्यान से हनुमान जी का स्मरण करता है, वे सभी संकटों से छूट जाते हैं।
सब पर राम तपस्वी राजा।
तिनके काज सकल तुम साजा॥
अर्थ: तपस्वी राजा श्री राम के सभी कार्यों को आपने पूरा किया।
और मनोरथ जो कोई लावै।
सोई अमित जीवन फल पावै॥
अर्थ: जो भी कोई अन्य मनोरथ (इच्छा) लेकर आता है, वह अनंत जीवन फल प्राप्त करता है।
चारों युग परताप तुम्हारा।
है परसिद्ध जगत उजियारा॥
अर्थ: चारों युगों में आपका प्रताप प्रसिद्ध है और जगत में उजियाला फैलता है।
साधु संत के तुम रखवारे।
असुर निकंदन राम दुलारे॥
अर्थ: आप साधु-संतों के रक्षक हैं और असुरों का नाश करने वाले, श्री राम के दुलारे हैं।
अष्टसिद्धि नौ निधि के दाता।
अस बर दीन जानकी माता॥
अर्थ: आप अष्टसिद्धि और नौ निधियों के दाता हैं, ऐसा वर माता जानकी ने दिया है।
राम रसायन तुम्हरे पासा।
सदा रहो रघुपति के दासा॥
अर्थ: आपके पास श्री राम का अमृत (प्रेम) है, आप सदा श्री रघुपति (राम) के दास रहते हैं।
तुम्हरे भजन राम को पावै।
जनम जनम के दुख बिसरावै॥
अर्थ: आपके भजन करने से श्री राम प्राप्त होते हैं और जन्म-जन्म के दुख दूर होते हैं।
अंत काल रघुबर पुर जाई।
जहाँ जन्म हरिभक्त कहाई॥
अर्थ: अंत समय में श्री रघुबर (राम) के धाम को प्राप्त होता है, जहाँ जन्म लेने से हरिभक्त कहलाता है।
और देवता चित्त न धरई।
हनुमत सेई सर्व सुख करई॥
अर्थ: अन्य देवताओं का ध्यान नहीं करना चाहिए, केवल हनुमान जी की सेवा करने से सभी सुख प्राप्त होते हैं।
संकट कटै मिटै सब पीरा।
जो सुमिरै हनुमत बलबीरा॥
अर्थ: हनुमान बलवीर का स्मरण करने से संकट कटते हैं और सभी पीड़ा मिटती है।
जय जय जय हनुमान गोसाई।
कृपा करहु गुरु देव की नाई॥
अर्थ: हे हनुमान जी, आपकी जय हो, आपकी जय हो, आपकी जय हो। कृपया, गुरु की तरह कृपा करें।
जो सत बार पाठ कर कोई।
छूटहि बंदि महा सुख होई॥
अर्थ: जो कोई सौ बार इस चालीसा का पाठ करता है, वह बंधनों से मुक्त होकर महान सुख प्राप्त करता है।
जो यह पढ़े हनुमान चालीसा।
होय सिद्धि साखी गौरीसा॥
अर्थ: जो इस हनुमान चालीसा को पढ़ता है, उसे सिद्धि प्राप्त होती है, शिवजी साक्षी हैं।
तुलसीदास सदा हरि चेरा।
कीजै नाथ हृदय महँ डेरा॥
अर्थ: तुलसीदास सदा हरि के सेवक हैं, हे नाथ (हनुमान), कृपया हृदय में वास करें।
दोहा
पवनतनय संकट हरन, मंगल मूरति रूप।
राम लखन सीता सहित, हृदय बसहु सुर भूप॥
अर्थ: हे पवनसुत (हनुमान), आप संकट हरने वाले और मंगलमूर्ति (शुभ रूप) हैं। राम, लक्ष्मण और सीता सहित आप मेरे हृदय में निवास करें।
निष्कर्ष
हनुमान चालीसा हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण धार्मिक पाठ है जिसे पाठ करके भक्त अपने जीवन में आध्यात्मिक और सामाजिक स्थिति को सुधार सकते हैं। यह पाठ न केवल भक्ति और श्रद्धा का प्रतीक है, बल्कि इससे व्यक्ति की मानसिक ऊर्जा और आत्मविश्वास भी बढ़ता है। हम सभी को यह सलाह दी जाती है कि हम हनुमान चालीसा को नियमित रूप से पाठ करें और उसके आशीर्वाद से अपने जीवन को प्रकाशमय बनाएं।