Shri Hanuman Sathika | : श्री हनुमान साठिका भक्ति, शक्ति, और सुख का स्रोत

श्री Hanuman Sathika एक महत्वपूर्ण हिन्दू धार्मिक ग्रंथ है जो भगवान हनुमान की महिमा और भक्ति को समर्पित है। यह ग्रंथ उन भक्तों के लिए एक अमूल्य स्रोत है जो अपने जीवन में हनुमान जी की कृपा और आशीर्वाद प्राप्त करना चाहते हैं। हनुमान साठिका में 60 श्लोक या छंद होते हैं, जिनमें हनुमान जी की अद्वितीय शक्ति, वीरता, और भक्ति का वर्णन किया गया है। इसे नियमित रूप से पढ़ने और इसका पाठ करने से भक्तों को मानसिक शांति, साहस, और आत्मविश्वास मिलता है। हनुमान साठिका न केवल आध्यात्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह व्यक्ति के जीवन में आने वाली कठिनाइयों को दूर करने में भी सहायक मानी जाती है। इस ग्रंथ का पाठ श्रद्धा और विश्वास के साथ करने से हनुमान जी की असीम कृपा प्राप्त होती है। हम सभी लोगो को अपने जीवन में उनकी पूजा-अर्चना करनी चाहिए और उनके भक्ति गीतों का सुनना चाहिए ताकि हमारी आत्मा और मन शांत रह सकें।

Hanuman Sathika Lyrics

॥ चौपाइयां ॥

जय जय जय हनुमान अडंगी ।
महावीर विक्रम बजरंगी ॥

जय कपीश जय पवन कुमारा ।
जय जगबन्दन सील अगारा ॥

जय आदित्य अमर अबिकारी ।
अरि मरदन जय-जय गिरधारी ॥

अंजनि उदर जन्म तुम लीन्हा ।
जय-जयकार देवतन कीन्हा ॥

बाजे दुन्दुभि गगन गम्भीरा ।
सुर मन हर्ष असुर मन पीरा ॥

कपि के डर गढ़ लंक सकानी ।
छूटे बंध देवतन जानी ॥

ऋषि समूह निकट चलि आये ।
पवन तनय के पद सिर नाये॥

बार-बार अस्तुति करि नाना ।
निर्मल नाम धरा हनुमाना ॥

सकल ऋषिन मिलि अस मत ठाना ।
दीन्ह बताय लाल फल खाना ॥

सुनत बचन कपि मन हर्षाना ।
रवि रथ उदय लाल फल जाना ॥

रथ समेत कपि कीन्ह अहारा ।
सूर्य बिना भए अति अंधियारा ॥

विनय तुम्हार करै अकुलाना ।
तब कपीस की अस्तुति ठाना ॥

सकल लोक वृतान्त सुनावा ।
चतुरानन तब रवि उगिलावा ॥

कहा बहोरि सुनहु बलसीला ।
रामचन्द्र करिहैं बहु लीला ॥

तब तुम उन्हकर करेहू सहाई ।
अबहिं बसहु कानन में जाई ॥

असकहि विधि निजलोक सिधारा ।
मिले सखा संग पवन कुमारा ॥

खेलैं खेल महा तरु तोरैं ।
ढेर करैं बहु पर्वत फोरैं ॥

जेहि गिरि चरण देहि कपि धाई ।
गिरि समेत पातालहिं जाई ॥

कपि सुग्रीव बालि की त्रासा ।
निरखति रहे राम मगु आसा ॥

मिले राम तहं पवन कुमारा ।
अति आनन्द सप्रेम दुलारा ॥

मनि मुंदरी रघुपति सों पाई ।
सीता खोज चले सिरु नाई ॥

सतयोजन जलनिधि विस्तारा ।
अगम अपार देवतन हारा ॥

जिमि सर गोखुर सरिस कपीसा ।
लांघि गये कपि कहि जगदीशा ॥

सीता चरण सीस तिन्ह नाये ।
अजर अमर के आसिस पाये ॥

रहे दनुज उपवन रखवारी ।
एक से एक महाभट भारी ॥

तिन्हैं मारि पुनि कहेउ कपीसा ।
दहेउ लंक कोप्यो भुज बीसा ॥

सिया बोध दै पुनि फिर आये ।
रामचन्द्र के पद सिर नाये ॥

मेरु उपारि आप छिन माहीं ।
बांधे सेतु निमिष इक मांहीं ॥

लछमन शक्ति लागी उर जबहीं ।
राम बुलाय कहा पुनि तबहीं ॥

भवन समेत सुषेन लै आये ।
तुरत सजीवन को पुनि धाये ॥

मग महं कालनेमि कहं मारा ।
अमित सुभट निसिचर संहारा ॥

आनि संजीवन गिरि समेता ।
धरि दीन्हों जहं कृपा निकेता ॥

फनपति केर सोक हरि लीन्हा ।
वर्षि सुमन सुर जय जय कीन्हा ॥

अहिरावण हरि अनुज समेता ।
लै गयो तहां पाताल निकेता ॥

जहां रहे देवि अस्थाना ।
दीन चहै बलि काढ़ि कृपाना ॥

पवनतनय प्रभु कीन गुहारी ।
कटक समेत निसाचर मारी ॥

रीछ कीसपति सबै बहोरी ।
राम लषन कीने यक ठोरी ॥

सब देवतन की बन्दि छुड़ाये ।
सो कीरति मुनि नारद गाये ॥

अछयकुमार दनुज बलवाना ।
कालकेतु कहं सब जग जाना ॥

कुम्भकरण रावण का भाई ।
ताहि निपात कीन्ह कपिराई ॥

मेघनाद पर शक्ति मारा ।
पवन तनय तब सो बरियारा ॥

रहा तनय नारान्तक जाना ।
पल में हते ताहि हनुमाना ॥

जहं लगि भान दनुज कर पावा ।
पवन तनय सब मारि नसावा ॥

जय मारुत सुत जय अनुकूला ।
नाम कृसानु सोक सम तूला ॥

जहं जीवन के संकट होई ।
रवि तम सम सो संकट खोई ॥

बन्दि परै सुमिरै हनुमाना ।
संकट कटै धरै जो ध्याना ॥

जाको बांध बामपद दीन्हा ।
मारुत सुत व्याकुल बहु कीन्हा ॥

सो भुजबल का कीन कृपाला ।
अच्छत तुम्हें मोर यह हाला ॥

आरत हरन नाम हनुमाना ।
सादर सुरपति कीन बखाना ॥

संकट रहै न एक रती को ।
ध्यान धरै हनुमान जती को ॥

धावहु देखि दीनता मोरी ।
कहौं पवनसुत जुगकर जोरी ॥

कपिपति बेगि अनुग्रह करहु ।
आतुर आइ दुसइ दुख हरहु ॥

राम सपथ मैं तुमहिं सुनाया ।
जवन गुहार लाग सिय जाया ॥

यश तुम्हार सकल जग जाना ।
भव बन्धन भंजन हनुमाना ॥

यह बन्धन कर केतिक बाता ।
नाम तुम्हार जगत सुखदाता ॥

करौ कृपा जय जय जग स्वामी ।
बार अनेक नमामि नमामी ॥

भौमवार कर होम विधाना ।
धूप दीप नैवेद्य सुजाना ॥

मंगल दायक को लौ लावे ।
सुन नर मुनि वांछित फल पावे ॥

जयति जयति जय जय जग स्वामी ।
समरथ पुरुष सुअन्तरजामी ॥

अंजनि तनय नाम हनुमाना ।
सो तुलसी के प्राण समाना ॥

॥ दोहा ॥

जय कपीस सुग्रीव तुम, जय अंगद हनुमान॥
राम लषन सीता सहित, सदा करो कल्याण॥
बन्दौं हनुमत नाम यह, भौमवार परमान॥
ध्यान धरै नर निश्चय, पावै पद कल्याण॥
जो नित पढ़ै यह साठिका, तुलसी कहैं बिचारि।
रहै न संकट ताहि को, साक्षी हैं त्रिपुरारि॥

॥ सवैया ॥

आरत बन पुकारत हौं कपिनाथ सुनो विनती मम भारी ।
अंगद औ नल-नील महाबलि देव सदा बल की बलिहारी ॥

जाम्बवन्त् सुग्रीव पवन-सुत दिबिद मयंद महा भटभारी ।
दुःख दोष हरो तुलसी जन-को श्री द्वादश बीरन की बलिहारी ॥

Hanuman Sathika Benefits in Hindi

हनुमान साठिका के कई लाभ होते हैं। यह प्राचीन हिन्दू धार्मिक साठिका है जो भगवान हनुमान को समर्पित है। हनुमान जी को भक्ति और शक्ति का प्रतीक माना जाता है। हनुमान साठिका के कुछ प्रमुख लाभ इस प्रकार हैं:-

भय और नकारात्मकता का नाश: हनुमान साठिका करने से व्यक्ति के मन से सभी प्रकार के भय और नकारात्मकता दूर हो जाती है। हनुमान जी का स्मरण करने से साहस और आत्मविश्वास में वृद्धि होती है।
शारीरिक और मानसिक शक्ति: हनुमान जी की साठिका से शारीरिक और मानसिक शक्ति में वृद्धि होती है। यह साधना व्यक्ति को स्वस्थ और ऊर्जावान बनाए रखती है।
रोगों से मुक्ति: हनुमान जी को रोगों से मुक्ति दिलाने वाला देवता माना जाता है। उनकी साठिका से व्यक्ति को विभिन्न प्रकार के रोगों से छुटकारा मिलता है।
बाधाओं का नाश: हनुमान साठिका से जीवन में आने वाली विभिन्न बाधाओं का नाश होता है। यह साठिका व्यक्ति को सफलता और समृद्धि की ओर अग्रसर करती है।
धार्मिक और आध्यात्मिक उन्नति: हनुमान जी की साठिका से व्यक्ति की धार्मिक और आध्यात्मिक उन्नति होती है। इससे व्यक्ति को मानसिक शांति और संतोष की प्राप्ति होती है।
नकारात्मक शक्तियों से रक्षा: हनुमान जी की कृपा से व्यक्ति को सभी प्रकार की नकारात्मक शक्तियों और बुरी आत्माओं से रक्षा मिलती है।
मानसिक शांति और संतुलन: हनुमान साठिका से व्यक्ति को मानसिक शांति और संतुलन की प्राप्ति होती है। यह साठिका ध्यान और योग के समान मानसिक स्वास्थ्य को बढ़ावा देती है।
आत्मविश्वास और साहस में वृद्धि: हनुमान जी की साठिका से व्यक्ति के आत्मविश्वास और साहस में वृद्धि होती है, जिससे वह जीवन की चुनौतियों का सामना करने में सक्षम होता है।
हनुमान साधना करने के लिए नियमित रूप से हनुमान चालीसा का पाठ करना, हनुमान जी की पूजा और आरती करना, और मंगलवार तथा शनिवार के दिन व्रत रखना विशेष रूप से लाभकारी माना जाता है।

श्री हनुमान साठिका का पाठ करने की विधि

श्री हनुमान साठिका का पाठ एक विशेष प्रकार की साधना है जो भगवान हनुमान की कृपा प्राप्त करने के लिए की जाती है। इस पाठ को विधिपूर्वक करने से व्यक्ति को अनेक लाभ प्राप्त होते हैं। यहाँ श्री हनुमान साठिका का पाठ करने की विधि दी गई है:

पाठ करने की विधि:

स्वच्छता और शुद्धता:

सबसे पहले स्नान कर लें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
जिस स्थान पर पाठ करना है, उसे भी साफ कर लें।

पूजा सामग्री की तैयारी:

एक साफ चौकी या आसन पर हनुमान जी की प्रतिमा या तस्वीर रखें।
पूजन के लिए धूप, दीप, पुष्प, फल, और मिष्ठान्न तैयार रखें।
पूजा थाली में कुमकुम, चंदन, अक्षत (चावल), जल, पान, सुपारी, और नारियल रखें।

आरम्भिक पूजन:

सबसे पहले गणेश जी का ध्यान और पूजन करें।
इसके बाद, हनुमान जी का ध्यान कर निम्न मंत्र से आवाहन करें: ॐ श्री हनुमते नमः

हनुमान साठिका पाठ:

हनुमान साठिका का पाठ प्रारंभ करें। यह पाठ 60 पदों में विभाजित होता है और हनुमान जी की महिमा का वर्णन करता है।
पाठ को पूरी श्रद्धा और भक्ति के साथ करें।
पाठ के दौरान हनुमान जी का ध्यान करते रहें।

आरती और प्रसाद:

पाठ के समाप्ति के बाद हनुमान जी की आरती करें।
प्रसाद अर्पित करें और सबके साथ बाँटें।

प्रणाम और समापन:

अंत में भगवान हनुमान जी को प्रणाम करें और उनसे कृपा की प्रार्थना करें।
पाठ का समापन कर लें और अपनी साधना समाप्त करें।

ध्यान देने योग्य बातें:

हनुमान साठिका का पाठ किसी शुभ मुहूर्त में प्रारंभ करें।
यदि संभव हो तो मंगलवार और शनिवार को यह पाठ करना विशेष फलदायी माना जाता है।
पाठ करते समय मन को शांत रखें और पूर्ण भक्ति के साथ करें।
नियमित रूप से हनुमान साठिका का पाठ करने से भगवान हनुमान जी की कृपा और आशीर्वाद प्राप्त होते हैं।
इस प्रकार, श्री हनुमान साठिका का विधिपूर्वक पाठ करने से व्यक्ति के जीवन में सुख, शांति और समृद्धि की प्राप्ति होती है।

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